बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
अध्याय - 3
शैशवावस्था में पोषण
(Nutrition During Infancy)
प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
शैशवावस्था में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक आहारों की आवश्यकता का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. शैशवावस्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
2. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
(i) शैशवावस्था में प्रोटीन की आवश्यकता,
(ii) शैशवावस्था में खनिज लवणों की आवश्यकता।
उत्तर -
(i) शैशवावस्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता
(Need of Nutritious Food During Infancy)
शैशवावस्था में शिशु के विकास की प्रक्रिया अत्यन्त तीव्र होती है, अतः इस अवस्था में सम्पूर्ण उम्र की अपेक्षा सर्वाधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में उसके शरीर में सम्पूर्ण पोषक तत्वों का सन्तुलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुपोषित शिशु ही स्वस्थ एवं हृष्ट- पुष्ट बालक के रूप में विकसित होता है। यदि इस उम्र में पोषक तत्वों की कमी हो जाये तो शिशु का विकास धीमी गति से होगा या रुक जायेगा। उसकी अस्थियाँ व दाँत कमजोर हो जायेंगे। उसमें रोग रोधक क्षमता का ह्रास होने के कारण वह किसी भी हीनता जनित रोग का शिकार हो जायेगा।
जीवन के पहले वर्ष में विकास इतनी तेजी से होता है कि जितना पूरे उम्र में किसी अवस्था में नहीं होता। शिशु का भार लगभग छः महीनों में ही दुगना तथा वर्ष भर में तिगुना हो जाता है।
प्रोटीन की आवश्यकता शिशु का विकास जन्म के प्रारम्भिक महीनों में विशेष रूप से अधिक होता है। शिशु व बालक के शरीर के भार की मासिक वृद्धि निम्न प्रकार से है -
पहले मास में लगभग----------------------------1 प्रतिशत
पाँच, छः एवं सात मास के आस-पास------------0.30 प्रतिशत
पहले वर्ष के अन्त में-----------------------------0.15 प्रतिशत
पाँचवे वर्ष के अन्त में-----------------------------0.03 प्रतिशत
उपरोक्त वर्णन पर ध्यान देने से यह ज्ञात होता है कि पहले मास में शिशु में विकास की दर सर्वाधिक होती है और फिर वह क्रमशः घटती जाती है। जब शारीरिक विकास दर सर्वाधिक होती है तो शिशु कुल कैलोरियों का 9 से 10 प्रतिशत तक प्रोटीन से प्राप्त करता है। इसी कारण से शिशु को प्रोटीन की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। माता का दूध इस आयु में सबसे उचित भोजन है। माता के दूध से शिशु की प्रोटीन की आवश्यकता पूर्ण हो जाती है।
पोषक विशेषज्ञ मैकलेस्टर एवं डाबी के मत में 2.0 से 2.5 ग्राम प्रति किग्रा. शारीरिक भार के लिए माता का दुग्ध पान करने वाले शिशु की दैनिक आवश्यकता है, यदि उसे गाय का दूध दिया जाता है, तो उसे 2.5 से 3.0 ग्राम तक प्रोटीन चाहिए। इसका कारण यह है कि गाय का दूध माता के दूध के कम गुणकारी है।
कार्बोहाइड्रेट, वसा व कैलोरियों की आवश्यकता प्रथम छह मास में शरीर विकास की गति इतनी तीव्र होती है कि उसे एक कठोर शारीरिक परिश्रम करने वाले वयस्क पुरुष की अपेक्षा प्रति किलो शरीर भार के हिसाब से दुगुनी कैलोरियों की आवश्यकता होती है। अतएव शिशु के लिए कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता स्पष्ट है उसकी अत्यधिक बाढ़ व अनवरत होने वाली शारीरिक चेष्टाओं के लिए पोषक विशेषज्ञों का मत है कि शिशु को कार्बोहाइड्रेट और वसा दोनों से जितनी कैलोरियाँ प्राप्त होती हैं, उसकी 25 प्रतिशत कैलोरियाँ कम से कम कार्बोहाइड्रेट्स के ज्वलन से मिलनी चाहिए।
जन्म के प्रारम्भिक मासों में तो शिशु की ऊर्जा की आवश्यकता माता के दूध से ही पूर्ण हो जाती है। यदि माता का दूध उसे किसी कारणवश नहीं मिल पाता, तो गाय के दूध में थोड़ी- सी शक्कर मिला दी जाती है, जिससे उसे कार्बोहाइड्रेट्स की कमी न हो। गाय के दूध में वसा की मात्रा अधिक हो तो उसको माता के दूध के समान बनाने के लिए कुछ पानी मिलाकर पतला करके दिया जाता है। चौथे पाँचवे मास में शिशु को पूरक भोजन द्वारा अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति की जाती है।
जल की आवश्यकता प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट की भाँति शिशु को उसके शरीर भार अनुपात में वयस्क की अपेक्षा जल की भी अधिक आवश्यकता होती है। उसे प्रायः शरीर भार के के 10 से 15 प्रतिशत जल की आवश्यकता होती है। वैसे तो शिशु को दूध से जल की यथेष्ट प्राप्ति हो जाती है, परन्तु गर्मी की ऋतु में उसे दिन में कई बार पानी भी पिलाना चाहिए। अगर उसे जल की आवश्यकता नहीं है तो वह स्वयं ही जल नहीं पियेगा।
खनिज लवणों की आवश्यकता खनिज लवणों की आवश्यकता तो शिशु को विशेष रूप से होती है, जैसे- कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा आदि। सामान्यतः शिशु को माता के दूध से 6 मास तक तो कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा प्राप्त हो जाती है, परन्तु यदि शिशु किसी कारण से माता का दूध पीने से वंचित रहता है, तो उसे प्रारम्भ से ही किसी अन्य पदार्थ द्वारा कैल्शियम दिया जाना आवश्यक हो जाता है। यदि उसको एक सुपोषित गाय का दूध उसकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में मिलता है, तो भी कैल्शियम व फास्फोरस प्रायः उसे आवश्यक मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं।
विटामिनों की आवश्यकता
विटामिन 'ए' और 'डी' जो शिशु माता के दूध से पोषित हो रहा है और स्वस्थ है, तो यह समझना उचित ही है कि उसे विटामिन 'डी' के अतिरिक्त सभी विटामिन प्राप्त हो रहे हैं। विटामिन 'डी' की पूर्ति तो सभी शिशुओं के लिए 300 से 400 आई. यू. प्रतिदिन पूरक पदार्थों से होनी चाहिए। एक चम्मच मछली के तेल से इस आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है। दोनों विटामिन 'ए' और 'डी' शिशु के लिए महत्वपूर्ण हैं, परन्तु आवश्यकता से अधिक मात्रा में वे हानि भी पहुँचा सकते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब शिशु को अतिरिक्त भोज्य- पदार्थों के साथ-साथ कॉड लिवर तेल के द्वारा इन विटामिनों की पूर्ति की जा रही है, तो डॉक्टर की सम्मति लेकर उसकी मात्रा निश्चित की जाए।
थायमिन और रीबोफ्लोविन ये दोनों विटामिन भी दूध से प्राप्त हो जाते हैं। यदि शिशु को माता का दूध या ऊपरी दूध समुचित मात्रा में मिलता है, तो उसको इनका अभाव नहीं रहता। जिन माताओं को पौष्टिक भोजन प्राप्त नहीं होता उनके दूध में पोषक तत्वों का अभाव होना निश्चित ही है। ऐसी दशा में शिशु को ऊपर से पूरक आहार में थायमिन और रीबोफ्लोविन युक्त पदार्थ देने चाहिए, जैसे अण्डा, फल, अनाज व सब्जियाँ।
विटामिन सी सुपोषित माता के दूध से तो शिशु को कुछ विटामिन 'सी' प्राप्त हो जाता है परन्तु गाय के दूध से तनिक भी नहीं। जब शिशु को ऊपर का दूध पिलाया जाता है, तो विटामिन 'सी' युक्त पदार्थ भी उसे अवश्य खिलाना चाहिए। अच्छा तो यह है कि सन्तरे का रस उसे प्रारम्भ से ही दिया जाये। पहले तीन मास में विटामिन 'सी' 15 मि. ग्राम दें और फिर इस मात्रा को 30 मि. ग्राम तक बढ़ा सकते हैं।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।